हिंदी भाषा में भी होगी एमबीबीएस की पढ़ाई

 भाषा की बाधा हुई दुर अब से हिंदी में भी होगी एमबीबीएस की पढ़ाई

डॉ मनोहर भंडारी ने 32 वर्ष पहले हिंदी में चिकित्सा शिक्षा के लिए लड़ाई की शुरुआत की थी उनका कहना था कि हिंदी में पढ़े लिखे चिकित्सक प्रदेश की हिंदी समझने वाली जनता का दुख दर्द समझ पाएंगे परंतु शायद उस समय की सरकार में उनकी बात की गंभीरता को नहीं समझ पाई 1991 में शुरू हुई लड़ाई आखिर 2022 में जाकर जीती गई।16 अक्टूबर 2022 को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मध्य प्रदेश में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई की शुरुआत की गई। 


गृह मंत्री ने रविवार को भोपाल के लाल परेड मैदान में चिकित्सा शिक्षा की प्रथम वर्ष की एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो केमिस्ट्री की हिंदी पुस्तकों का विमोचन किया। इन पुस्तकों का विमोचन करने के दौरान उन्होंने कहा कि, आज का दिन भारत की शिक्षा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। यह शिक्षा क्षेत्र के पुनर्जागरण और पुनर्निर्माण का क्षण है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति की सोचने की प्रक्रिया उसकी मातृभाषा में ही होती है यदि पढ़ाई और अनुसंधान मातृभाषा में हो तो भारत के विद्यार्थी पूरे विश्व में भारत का डंका बजा सकते हैं।

भाषा के कारण करना पड़ता है मुश्किलों का सामना

अमित शाह कि यह बात पूरी तरह सत्य है। एक सर्वे में मैं भी इस बात की पुष्टि की गई है कि अधिकतर भारतीय अपना अधिक समय अपने विचारों को हिंदी से अंग्रेजी में अनुवादित करने में बिता देते हैं। आज भी देश के अधिकतर छात्र अपनी पूरी पढ़ाई हिंदी मीडियम में ही करते हैं। यही विद्यार्थी जब डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं और उन्हें कॉलेज में अंग्रेजी का सामना करना पड़ता है तो वह उस विषय को न समझ पाने के कारण अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। ऐसे में कई प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को डॉक्टर बनने के अपने सपने को छोड़ना पड़ता है

किताबें रटने से होगा नुकसान

कई विद्यार्थी सिर्फ एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के लिए अंग्रेजी की किताबों को रट कर परीक्षा तो पास कर लेते हैं परंतु वह आगे चलकर एक अच्छे डॉक्टर बनने में असमर्थ होते हैं क्योंकि वह चिकित्सा क्षेत्र की बारीकियों को नहीं समझ पाते हैं। आप स्वयं ही सोचिए कि यदि आप एक ऐसे डॉक्टर के पास अपना इलाज करवाने जाते हैं जिससे सिर्फ चिकित्सा शिक्षा के शब्दों का ज्ञान है परंतु एक मरीज समस्या को समझ कर उसे सही दवाई देने या इलाज करने में यदि वह असमर्थ हो तो क्या वह उस व्यक्ति की जान बचा पाएगा या फिर देश के विकास में अपना योगदान दे पाएगा?

विषय को समझना महत्वपूर्ण

चिकित्सा किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है। यदि डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी इस विषय को बिना समझे सिर्फ रट लेंगे तो यह देश और मानव जाति के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है।नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसी बात को समझते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है और मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में करवाई जाएगी। यह एक सराहनीय निर्णय है परंतु कई विद्यार्थी इस पर यह प्रश्न चिन्ह लगा सकते हैं कि उन्हें हिंदी में क्यों पढ़ाया जा रहा है? एमबीबीएस की पढ़ाई में कई ऐसे शब्द होते हैं जिन्हें हिंदी की बजाय अंग्रेजी में ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है। तो आपको बता दें कि, सरकार ने इस तरह की कोई भी बाधा नहीं रखी है। छात्र जिस विषय को अंग्रेजी में समझ सकते हैं वह उस विषय की पढ़ाई अंग्रेजी की किताब से भी कर सकते हैं।

आईआईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में

केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य छात्रो के सामने आ रही भाषा की बाधा को दूर करना है। कई विद्यार्थी 11वीं में साइंस विषय की पढ़ाई सिर्फ इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि अंग्रेजी में इस विषय को समझ पाना मुश्किल होता है। इन हिंदी पुस्तकों को पढ़कर वह आसानी से इसे समझ सकते हैं कॉलेजों में हिंदी इंग्लिश दोनों भाषाओं में पढ़ने से विद्यार्थी चिकित्सा शिक्षा में रूचि लेकर पढ़ाई कर सकेंगे।

इस विषय को पढ़ लेने से विद्यार्थी ना ही अपना एक सफल भविष्य निर्माण कर पाएंगे और ना ही आगे चलकर देश के उन्नति में अपना योगदान दे पाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ यही तक ही नहीं रुकेगी पुस्तकों के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री ने हमेशा से आईआईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में कराने की मांग की है। जल्द ही अन्य विषयों के विद्यार्थियों को भी दोनों भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध हो सकेंगे जिससे वह सिर्फ अपने ज्ञान ही नहीं बल्कि कौशल का भी विकास कर सकेंगे। भविष्य में ज्ञान से अधिक कौशल को महत्ता दी जाएगी।

ऐसे में यदि सिर्फ भाषा के कारण देश के विद्यार्थी कौशल विकास में पीछे रह जाते हैं तो यह काफी शर्मिंदगी की बात होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह निर्णय काफी दूरदर्शी है।  इस फैसले को लागू करने के लिए मध्य प्रदेश के  डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने में यह पुस्तकें तैयार की है और अब नए सत्र से यह पुस्तक के विद्यार्थियों को उपलब्ध हो जाएंगी। एमबीबीएस के विद्यार्थी इंग्लिश व हिंदी दोनों भाषाओं में पढ़ाई करके चिकित्सा क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करेंगे।

Writer 

Moksha Tiwari 



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